Danitol sumitomo क्या है? इसका technical क्या है? Danitol insecticide की संपूर्ण जानकारी।
नमस्कार किसान भाइयों,अगर आप धान और कपास जैसी फसलों की खेती करते है।और इन फसलों में अमेरिकन सुंडी और गुलाबी सुंडी जैसी कीटो की समस्या से परेशान होते है।क्योंकि इन कीटो से फसलों में काफी नुकसान होता है।
लेकिन किसान भाइयों अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम ऐसे ही एक प्रोडक्ट के बारे में बात करने वाले है जो हमारी फसलों में आने वाली अमेरिकन सुंडी जैसी कीटो को नियंत्रित करने में मदद करता है।जिसका नाम है danitol sumitomo.
Danitol क्या है?
Danitol एक कपास और धान की फसल में अमेरिकन सुंडी और गुलाबी सुंडी जैसी कीटो के नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक स्पर्शीय कीटनाशक है।
Image source-google|image by-Sumitomo |
इसके उत्पादक और विक्रेता sumitomo chemical india limited. नाम की कंपनी करती है। यह कंपनी अपने बेहतरीन कृषि उत्पादों और अच्छी क्वालिटी के कारण भारत के किसानों मे काफी लोकप्रिय है।
Danitol insecticide का content क्या है? और ये कैसे काम करता है?
Danitol के अंदर हमे सक्रिय तत्व के रूप में FENPROPATHRIN 10% EC फॉर्मुलेशन में देखने को मिलता है।जिसका मतलब Emulsifiable Concentrate होता है।
इसके काम करने के तरीके की बात करे तो ये छिड़काव के बाद संपर्क में आने वाली अमेरिकन सुंडी और गुलाबी सुंडी जैसी कीटो को प्रभावित करता है।बाद में प्रभावित कीटो का नाश होता है।
Danitol insecticide का dose क्या है? और इसका इस्तेमाल कौनसी फसलों पर? कब? करना चाहिए?
Danitol pesticide का इस्तेमाल करने वाली फसलों की सूची नीचे दी गई है।
कपास - कपास की फसल में गुलाबी सुंडी, चितकबरी सुंडी और अमेरिकन सुंडी जैसी कीटो के नियंत्रण के लिए 1000/ml दवाई को 750/लिटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
धान - धान की फसल में पीला तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी जैसी कीटो के नियंत्रण के लिए 1000/ml दवाई को 500/लिटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
सावधानी।
> danitol का एक ही फसल में दूसरा उपयोग करने से पहले अपने कृषि विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
> danitol का घोल बनाते समय पानी की सही मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए।
> danitol का घोल सिर्फ साफ पानी में ही बनाए।क्योंकि गंदे या मैले पानी का उपयोग करने से दवाई का प्रभाव कम हो सकता है।
> जलीय जीवों और मधुमक्खियों के लिए हानिकारक होने के कारण इसका इस्तेमाल मछली पालन और अन्य जलीय जीवों के क्षेत्र में ना करे।इसके अलावा मधुमक्खियों के फॉरेजिंग अवधि के दौरान भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
तो किसान भाइयों हमे उम्मीद है आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा,अगर आपको इस आर्टिकल से कुछ जानकारी मिली है,तो अपने दूसरे किसान भाइयों को भी इस आर्टिकल को शेयर कीजिए।और आपको इस आर्टिकल के बारे में कोई भी प्रश्न है,तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें